उम्मीद
उम्मीद
उम्मीदों पे दुनिया टीकी है, भाई,
तुम उम्मीद न छोड़ना कभी ...!
एक पल ऐसा आएगा कि
तुम्हें अपनी मंज़िल का सही
ठिकाना मिल जाएगा ...।
तुम्हारी क़द्र भी दुनिया एक दिन ज़रूर करेगी,
भाई, तुम उम्मीद न छोड़ना कभी ...!
जिस क़दर तुम दर-ब-दर
अपने ईमान को सर आँखों पर रखकर
बेइंतहां कोशिशें कर रहे हो, भाई,
तुम्हें अपनी मंज़िल का सही
ठिकाना मिल ही जाएगा !
बस तुम उस ऊपरवाले पर यक़ीन करना, भाई,
तुम्हें उस मंज़िल तक का रास्ता
खुदबखुद मिल जाएगा ...!
यही सच है
कि ऊपरवाले के दर पे
तुम्हारी फरियाद पहुंचने में
बेशक़ देर ज़रूर होता नज़र आ रहा है, मगर
ये समझ लो कि
उन तक तुम्हारे 'पाक़' दिल की
आवाज़ ज़रूर पहुंचेगी ...!
भाई, तुम अपनी उम्मीद न छोड़ना ...!