उलझन
उलझन
तुम्हें चाहना एक उलझन बन गई है
यह बात पुरानी है तुम कभी सुलझाती थी मुझे
मेरी उलझनों के जाले से पार कहीं
मैं तन्हा भी कभी इतना अकेला नहीं रहा
जितना तुम्हारी मौज़ूदगी में होने लगा हूँ
कुछ तो बदल रहा है या यह कहूँ
बहुत कुछ बदल गया है अब हमारे बीच में
वज़ह शायद हम दोनों ही जानते हैं
तुम तुम न रही बस मैं होती गई
मैं मैं न रहा बस तुम होता गया
अपना-अपना वज़ूद हम दोनों से गया
अब कुछ रहा है गर तो वो
यह उलझन है जिसे सुलझाने की
कोशिश में अब उलझना नहीं है.