उफ़ ! काश मैं होती 'मोती बेगम '…?
उफ़ ! काश मैं होती 'मोती बेगम '…?
काश मैं होती 'मोती बेगम','मिर्ज़ा ग़ालिब' की ज़िंदगी की -
वो सिसकती हुई ख़ामोशी, जो कहने को थी -
सिर्फ़ एक तवायफ़, थी मगर - एक रोशन शमा - जिसमें -
आहिस्ता से आती, जलती और फ़िर ज़ोरों से -
भभकती थी - मेरे मिर्ज़ा की नाज़ुक नज़्में,न था हासिल -
उस ज़माने की - उस जैसी - नापाक दोशीज़ा को -
मिर्ज़ा के -पाक दामन का सहारा, पर सदा - आराम फ़रमाती थी -
वो उस ज़माने के - शरारती शायर के बाग़ी ख्यालों में, नाम उनका न मिला - मोती को -तो क्या मेरे रब, नाम उसका - ही थे लेते - वो हर मैख़ाने में और हमप्यालों में,
काश मैं होती 'मोती बेगम ', एक हसीन आरज़ू - मोहब्बत की,
जिसके शोख़ होंठों पे - होता - मिर्ज़ा - सिर्फ़ तुम्हारा
सुर्ख़ और सर्द कलाम, नाज़ुक हाथों में - होते -
वो बेशकीमती - शेरो - शायरी के - धड़कते हुए - कुंवारें पन्ने,
मस्त आँखों में - पैबस्त होता - तुम्हारे गहरे दिल की - गहराई सा -
गहराता - गहरा -गहरा काजल, और ज़ुल्म करने को - मचल - मचल जाती -
ज़ालिम मेरी - ग़ुस्ताख़ ज़ुल्फ़ों में - महकते होते - तुम्हारी यादों से - लबरेज़ - सफ़ेद मोगरे के गजरे,
काश मैं होती 'मोती बेगम', जिसके एक पैगाम पे -
तुम आ जाते - शहंशाह तक से - करके वादाखिलाफी,
भुला देते - अपना दीन और धर्म - नाम पर इंसानियत के -
और ख़ुदा के लिये - मुझ जैसे ख़ुदाबंदों की करते बंदगी -
मेरी बदनाम ख्वाबगाह में, जहाँ कोई नहीं आता -
रूह के शर्मसार - और हर लम्हां - सिहरते हुस्न के -ढल जाने के बाद,
न बंद होती पलकों में - क़यामत तक - जलता रहता -
मेरी बुझती हुई - उम्मीद का - टिमटिमाता - मिट्टी का दिया,
काश मैं होती 'मोती बेगम', हो जाती तबाह - मिर्ज़ा तुम्हारे नाम पर -
सब्र के - जाम पे जाम - पीती रहती - मिर्ज़ा - बस,
तुम्हारे ही इंतज़ार में, न जाती मस्ज़िद-न पढ़ती कलमा -
बस, सज़दे पे सज़दा करती रहती - मिर्ज़ा - बस, तुम्हारे ही खुशनुमा ख्याल में,
न होती हवस - न होती क़सक - न होता,
ज़िंदगी से कोई भी ग़िला - न होता
कोई शिक़वा - न होती कोई शिकायत -
इस संगीन - पर, थोड़े से रंगीन ज़माने से -
अगर, तू मिला होता ! मुझे, तू मिला होता !
बस, तू ही मेरी इज़्ज़त, तू ही मेरी आबरू ,
और, तू ही मेरी बेताब सनक होती,
काश ! मैं होती मोती बेगम, मेरे मिर्ज़ा ! मेरे ग़ालिब !
काश ! होते तुम्हीं से सँवरे, तुम्हीं से सजे, मेरे अरमान ! मेरे ज़ज़्बात ! मेरे ख़्यालात !
उफ़ !!!