त्यज दुर्व्यसनं
त्यज दुर्व्यसनं
व्यसन बुरे है उनको अपने
जीवन मे मत अपनाना।
जीवन नर्क बना देते यह
पङता फिर पछताना।
तन मन धन पर असर बुरा
पङता परिजन दुख पाते।
हंसते हुए देखिए उनको
दुख सागर में समा जाते।
घर मे होती कलह नर्क
जीवन सबका बन जाता।
कर्जदार बन जाते फिर तो
हर कोई आ गरियाता।
धूम्रपान मदिरा असंख्य ही
नशो की लत जो लगाते।
वे तिल तिल प्रतिपल मरते
जल्दी ही जग से है जाते।
खुद तो मरकर जाते लेकिन
कर्ज को कौन चुकाए ।
सन्तति रहती दुखी आय भी
कर्ज चुकाने मे लग जाए।