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Vandana Srivastava

Inspirational

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Vandana Srivastava

Inspirational

सात पड़ाव

सात पड़ाव

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सात फेरों में बंधा विवाह का ये बंधन,

सात वचनों को निभाये जन्म जन्मांतर..!


पहला पड़ाव होता है मित्रता निभाने का ,

बिन बोले ही आंखों की भाषा पढ़ जाने का,

मित्र बन कर बिना झिझके हर बात कह देने का,

बेस्टीज़ बन कर दोस्ती का हर वादा निभाने का..!


दूसरा पड़ाव होता है एक दूजे पर विश्वास करने का ,

कानों पर रेंगते सापों को मुंह से पकड़ झटकने का,

विष घोल दे जो रिश्तों में उन बातों को सुलझाने का ,

विश्वास रख कर हर बात एक दूसरे से साझा करने का..!


तीसरा पड़ाव है हर घड़ी हर पल संग संग चलने का,

कैसी भी हों परिस्थितियॉं हर वक्त साथ निभाने का,

जीवन पर्यंत और जीवन के बाद भी साथ बनाने का,

साइकिल के दो पहियों की तरह ताल में चलते रहने का..!


चौथा पड़ाव है समर्पण कर समर्पित हो जाने का,

एक हो जायें उस वचन में जीवन अर्पित करने का,

तुम तुम ना रहो मैं मैं ना रहूं ऐसे एक दूजे में खोने का,

मेरी पहचान बन जाओ तुम ऐसे आने वाले कल को सजाने का ..!


पॉंचवा पड़ाव है एक दूजे की खुशियों के लिये त्याग का,

जरूरत पड़ने पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने का,

अपनी खुशियों से पहले तुम्हारी खुशियों को जानने का,

मिलकर एक दूजे के लिये हर संभव मदद कर जाने का..!


छठा पड़ाव है जीवन पर्यंत कठोर हर दिन तपस्या का ,

परिवार जो बने उसमें हमारी तुम्हारी बुनती भावनाओं का,

अपने हाथों से कलाकृति को सुंदर आरूप में ढालने का,

उन कलाकृतियों के लिये तपस्वी बन हर को़शिश करने का..!


सातवां पड़ाव है निश्छल छलकते बहते हुये प्रेम दरिया का,

जिसमें डूबे अनवरत अनावरण हो प्रेम के पढ़ते पन्नों का,

जीवन में सरस मधुर ताल छंद युक्त बजते सुर संगम का,

जीवन में बजती वीणा के मधुर ध्वनि को मगन हो सुनने का..!


सात फेरों में बंधा विवाह का ये बंधन,

सात वचनों को निभाये जन्म जन्मांतर..!!


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