लड़ना होगा
लड़ना होगा
इस दुराचार के कलयुग में अब तुमको भी चलना होगा ,
जीना होगा , मरना होगा , प्रतिपल तुमको लड़ना होगा
कब तक तुम खुद को डरा डरा कर अपना लाज बचाएगी
अपनी लज्जा को स्वयं बचाकर तुमको ही चलना होगा
जीना होगा, मरना होगा..........,
अगर आज संभाल लिया खुद को , पहचान को अपने बना लिया
तो नही कभी तुम सोचोगी ईश्वर ने तुमको दिया ही क्या
दो हाथ दिए , दो पांव दिए अब उससे ही लड़ना होगा
बाते होगी तलवार तेरी हथियार तेरा गहना होगा
गर मर्दों की कठपुतली बन अब तुमको न रहना होगा
तो जीना होगा , मरना होगा ...........
अब अत्याचार हुए तुम पर किसको दोषी ठहराओगी
तुम झंकार के देखो अपने अंदर खुद को ही दोषी पाओगी
जब तुम खुद को न बचा सकी तब तुमको कोन बचाएगा
गर इन नजरो से देखोगी तो दोष तुम्हारा आएगा
औरत है दूसरो पर आश्रित गर इस कलंक को मिटाना है,
तो अवतार नया एक ले करके अब इस दुनिया में आना है
फिर दिखलाकर अपना कौशल सम्मान को यदि रखना होगा ,
तो जीना होगा , मरना होगा .………
माना की श्रापित ये दुनिया , अत्याचारों से भरी हुई
सब एक दूजे के खून के प्यासे हत्यारो से भरी हुई
अब दुराचार के इस कलयुग में तुमको भी ढलना होगा
और बदल के अब इस कलयुग को एक नया युग लिखना होगा
नारी सब पर भारी है अब दुनिया को दिखलाना है
और निकाल के पश्चिम से सूरज प्रात काल को लाना है
इतिहास के पन्नो पर अब यदि नारित्व अमर रखना होगा ।
तो जीना होगा , मरना होगा प्रतिपल तुमको चलना होगा
