Day-25 सफ़लता
Day-25 सफ़लता
डोर हौसले की थाम कर ही
कर्तव्य पथ पर बढ़ाए अपने कदम
फिर अँधेरों में उजाले ढूंढ लेगे हम
बार बार गिरकर धरा पर चींटी भी मंजिल पाती है
आज ही तेरी हार कल जीत की उम्मीद जगाती है
जैसे हर रात के बाद प्रतिदिन उजाला होता है जगमगाते इस पल में उम्मीद का दिया जला ये हम
निराशा ने हर अंधरे को आशा का सूरज दिखाएं हम
मुश्किलों तो है राह में पर अब ना घबराएं हम
मन पर पडी धूल को हटाकर कर्म से अपनी तक़दीर बनाएंगे हम
मत न हो निराश तू रख विश्वास जीवन में मार्ग पर मझधार फंसी उस नैया को उम्मीद के किनारे लगाएंगे हम
राह में ठोकर खाने पर कभी ना घबराएं हम
थोड़ा चिंतन कर कारणों का पता लगाएंगे हम
फिर दुगुनी ताकत से अदम्य सी उड़ान भरेंगे हम
तू कर प्रयास ना हो उदास
राह बनाएंगे हम जीवन में जो पाना है उसकी आशा जगाये रखेगे हम
बुलंद हौसलों से से हर मंजिल को पाना है
संघर्षों के पार सुन्दर जहान है
श्रम की तपिश में पसीना से तर हो जायेगे हम
आत्म विश्वास से आगे बढ़ेंगे हम
भव्य शिखरों पर कीर्तिमान गड़े हम
प्रसून की चाह में कांटों से ना डरेंगे हम
अर्जुन सी निगाह रख लक्ष्य को पाएगें हम
अभिप्रेरणा लेकर आगे बढ़ जायेगे
फिर सफलता के वर्ण से मेहनत के रंग दिखाए हम
कर्म पर अपना भरोसा
भाग्य को किसने रोका
यह जिद अपनी भी यही
कर्म से अपने भाग्य को बदलेंगे हम
मंज़िल पर पहुँचकर दम लेगे हम
खुद ही जीत और सफ़लता की इबारत लिखेंगे हम
