STORYMIRROR

Manoj Kumar

Romance Action

3  

Manoj Kumar

Romance Action

तू रुक जा जरा मुसाफिर

तू रुक जा जरा मुसाफिर

1 min
429

तू रुक जा जरा मुसाफिर।

तू ले चल मुझे भी साथ अपने।

तू कुछ सोच ना रुक- रुककर मैं कोई कांटा नहीं हूं।

तू मुड़कर देख जरा सा, और आंखों में बसा ले अपने।


अब तू ही सहारा तू ही यारा।

कौन है इस जहां पर बस तू है मेरे सागर के किनारा।

अब छूटे ना तेरी राहें विचलित होकर।

तू मुझे कस ले अपनी बांहों में, आगोश होकर।


जब देखी मेरी नजर तुझको।

ख़ामोश होकर वो शर्मा गई।

दीदार में तेरे डूब गया तुझे ही देखकर।

मेरी नजर बस तुझे अपनी प्रेमिका समझ गई।


क्या हाव- भाव है तेरे, मुड़कर देख जरा सा।

दूर मुझसे मत जा तू, इक पल के लिए।

छुपा ले तू आकर मुझे पलकों तले।

इंतजार में हूं मुसाफिर तेरे लिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance