तू मुझमें बाकी हैं ....
तू मुझमें बाकी हैं ....
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बिछड़ के भी आज तू मुझ में कहीं बाकी है ।
बगल के शहर से भी गुजरे तू तो मेहक आज भी आती है ।
कोई पहला अक्षर भी कह दे नाम का तेरे
तो यादें उगलने के लिए काफी है ।
ना बन पाए किसी और के ,
हम आज भी है तेरे
क्या ये बेहद मोहब्बत करना भी गुस्ताखी है ।
बिछड़ के भी आज तू मुझ में कहीं बाकी है ।।