तू मेरी बिंदिया रे
तू मेरी बिंदिया रे
तू मेरी बिंदिया रे
आसमान में चाँद सा चमकता
तू मेरी बिंदिया रे
तू मेरा साजन ,बाहें पसारे
चारों आयाम मुझे सँवारे रे
मेघों सी मेरी काली अलकें
तेरे मुख की शोभा रे
अरुणाचल से आता सिंदूरी सूरज
सजाता मेरी मांग रे
रात में तारों की झिलमिल
बनती मेरी चुनरिया रे
कुमुदनी पर गुंजरित भँवरे
बने मेरी पायलिया रे
तू मेरे माथे की बिंदिया
चंदा सा चमकता रे।

