STORYMIRROR

Renu Singh

Abstract Others

3  

Renu Singh

Abstract Others

सुखद प्रभात

सुखद प्रभात

1 min
127


सतरंगी अश्वों से सज्जित रथ पर

आरूढ़ हो आया रश्मिरथी

कुछ संकुचित कुछ खिलखिलाता सा

पर्ण पुष्पों का करता आलिंगन

शीत वायु को देता कतिपय ऊष्मा

तुहिन कणों को अवशोषित कर

शैवाल को भी देता जीवन

स्वागत में सुखद प्रभात बेला की

हो गया है रक्तिम

अवनि का भी प्रसन्न आनन



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract