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Renu Singh

Abstract Comedy Others

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Renu Singh

Abstract Comedy Others

चीटियों की हवाई यात्रा

चीटियों की हवाई यात्रा

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चींटियों की हवाई यात्रा

मीटिंग थी चींटियों की

बतिया रही थी आपस में

बहनों अब मन नहीं लगता इस घर में

कहीं चलें कुछ दिन

देश विदेश घूमने

रानी चींटी बोली

फोन आया था मेरी बहन का

उसने बुलाया है दुबई घूमने

खुश हो नाचने लगीं सभी

तय हुआ अगली फ़्लाइट से जाना

रानी चींटी ने सुझाया

टिकट का कोई काम नहीं

जो भी चाहे चलने को तैयार रहे

सीढ़ी के ऊपर से नहीं

नीचे से चढ़ेंगे छुपते छुपाते

कोई शोर शराबा करेगा नहीं

किसी को कोई काटेगा नहीं

पहुँच गईं टुकड़ियों में एयरपोर्ट

सीढ़ियों के नीचे से चल दीं ऊपर की ओर

एयर होस्टेस जब नहीं थी गेट पर

सब पहुँच गईं जहाज के अंदर

दिखलाई नहीं दीं किसी को

बैठ गईं सीटों के नीचे

जहाज ने भरी उड़ान

चींटियों का जी हुआ हलकान

तभी रानी चींटी ने रख मुँह पर उंगली

सबको कहा रहने को शांत

उड़ चलीं आसमान में चींटियां

ऐसे ही मस्ती से पहुंच गईं

बहना के सुन्दर देश

जैसे गईं थीं जहाज के अंदर

वैसे ही बाहर आ गईं

टुकड़ियों में निकली एयरपोर्ट से बाहर

कर रही थी बहन इंतजार

गले मिलीं सब ,बहन ने कहा तब

कैसे चलोगी घर तक

टैक्सी कर लें क्या कोई

रानी चींटी ने कहा

नहीं दीदी घूमते देखते चलेंगे

तुम्हारे सुन्दर देश को

सब चल दीं मंजिल की ओर

आजाद घूम रहीं थीं बागों में

धन्यवाद दे रहीं थी रानी चींटी को मन में

कुछ दिन वही रहने का निश्चय कर

आनंद ले रहीं थीं स्वतंत्रता का जीवन में।।



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