नन्ही उम्मीद
नन्ही उम्मीद
नन्ही कली ने
लिया जन्म
सूरज ने दी थपकी
हवा ने सहलाया
चांदनी गुनगुनाई
चाँद ने लोरी गाई
कली बस थोड़ी सी मुस्काई
उसने उम्मीदे जगाईं
जल्दी ही बड़ी होगी
दूसरे फूलों की तरह
झूमेगी लहरायेगी
तितली और भौंरे
गुनगुनायेंगे
उसके सौंदर्य के गीत गायेंगे
आज कली खिल गई
खिलखिला कर इतराई
आज उसने भी
पंखुड़ियां खिला कर
ली अंगड़ाई
अपनी आस पास देख भँवरे को
नन्ही कली को
अपनी उम्मीद याद आई
वह सौंदर्य है अनछुआ
किसी बाग का ,
उसेअंग बनना है
प्रियतम के श्रृंगार का
यह नन्ही सी उम्मीद
उसकी पूरी कर देना
हे भगवान!
