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Vikas Sharma

Romance

3  

Vikas Sharma

Romance

तू ही तू है

तू ही तू है

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कभी नजरों से नजरे

मिलकर तुझको मैं देखूं,

मैं पलकों को बदलूँ

तेरी नयी अदा को, मैं देखूं

कभी हाथ थामूं

कभी बाँहों में ले लूँ,

कभी तुझको घुमाऊँ,

कभी तुझको उठा के मैं झूम जाऊं।


वो तेरी कशिश

वो बाहों में मुझको ऐसे जकड़ना,

कभी चूमती तू ,कभी चूमता मैं,

मेरा हद से वो बढ़ना, वो तेरा शरमाना

शरमा के मुझमें सिमट जाना।


वो साँसों का मिलना

वो दिल का एक साथ धड़कना,

कभी पलकें मिलाऊँ

कभी पलकों को खोलूं,

वो तेरा मचलना,

वो तेरा होठों का कम्पन,

वो तेरी हँसी, वो धीरे से कहना।


वो तेरी लटों का उलझना

लम्बी आह का भरना,

बस यूँ ही आँखे बंद करके

एक दूसरे की बाहों में रहना,

कहाँ दूर है तू, इतने करीब है,

झूठी है दुनिया, तुझे समझी नहीं है।


मेरे कल भी थी करीब तू,

अब तो कोई फ़ासला ही नहीं है,

तू ही तू, तू है,

तू ही तू, तू है।


मेरी जिंदगी तू ही तू है,

मेरी बन्दगी, तू ही तू है,

मेरी हर साँसें, मेरी हर धड़कन

तू ही तू, तू है

तू ही तू, तू है। 


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