तुम्हेँ चाहा
तुम्हेँ चाहा
मन आत्मा की गहराई से तुझे ही चाहा,
तेरी चाहत को अपनी साँसों में ढाला ,
धड़कन बनकर ,मेरे साथ हो तुम ।
जब भी उदास होती हूँ,
तेरी तस्वीर से दो बातें कर लेती हूँ,
कितना सुकून और चैन मिलता है ,
तुम नहीं समझोगे?
आहट होती हैं साया सा दिखता ,
आ गए तुम कदम चल पड़ते हैं ,
भाग कर जाना चाहती हूँ,
लिपट कर सारी दूरियाँ ,
मिटा देना चाहती हूँ,
जो इतने दिनों से,
तुम्हारे इन्तजार में काटी है,
विरह की रातें ।

