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Anita Mishra

Others

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Anita Mishra

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समय की धार को देखो।

समय की धार को देखो।

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समय की धार को देखो, कहानी क्या सुनाती है।

कभी बेहद हँसाती है कभी बेहद रुलाती है।


कहे ये लेखनी मेरी, सदा तुम सत्य ही लिखना,

समय के साथ ही चलकर, कलम भी मुस्कुराती है।।


घिरे हैं लाख कांटो से, भयानक रात है काली 

खिलेंगे फूल शाखों पर, हवा उड़ - उड़ बताती है।


कई फांके गुजारें हैं, कई हैं दावतें देखी 

सदा अलमस्त हो जीवन, अना हमको सिखाती है।


गरीबों के यहाँ झाँको, जहाँ हैं ग़म कई बिखरे,

गरीबी मौत से बदतर, सदा जीवन बनाती है।


यहां जो चोर बैठे थे, बने हैं आज वो मुन्सिफ़,

अजब ये दौर है आया, यही सिद्धि बताती है।


नहीं डरते जमाने से, नहीं हम ख़ौफ़ ही खाते,

यही फितरत हमारी तो,अलग सबसे बनाती है।।



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