Anita Mishra
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तेरी आस में सब कुछ
भूलकर बैठी हूँ,
तू आये तो करूँ सिंगार,
हाथ में कंगन, नाक में नथ,
माथे पे बिंदी सजाऊँ।
आँख में काजल, होंठ में लाली,
और बंसन्त में धानी आँचल लहराऊँ।
आखिर क्या है ...
पहली नजर
नन्हीं सी परी
सुनो तो ।
समय की धार को...
मन से मन तक
अहसास ही तो ह...
गुलाबी खत।
आ गया बसंत
तेरी आस में