तुम्हारी याद
तुम्हारी याद
ये जो तेरी याद का भ्रमर गुंजन कर रहा है
ये मुझमे अब भी प्रेम का सर्जन कर रहा है
उदित ये सूर्य मन को चेतता है
किन्तु यह सोम मन-मर्दन कर रहा है
तुम्हारे हास पर मन उल्लसित होता रहा था
पर इस परिहास पर, टूट क्रन्दन कर रहा है।

