STORYMIRROR

Ultimate Loser

Romance

4  

Ultimate Loser

Romance

तुम्हारा शहर बनारस और मैं

तुम्हारा शहर बनारस और मैं

2 mins
354

कुछ बात तो है तुम्हारे बनारस में

जो मुझे ये अपना ना होकर भी

अपना सा लगता है

कुछ बात तो है इस शहर की हवा में

जो की इसने मुझ पर ना जाने कैसा जादू किया है

इस शहर ने मुझे पूरी तरह से बदल दिया है

मुझ बड़े शहर की अल्हड़ सी लड़की को

शांत और शालीन बना दिया है

मुझ जैसी बिगड़ैल को भी

इस शहर ने बेइंतेहा प्यार दिया है


डिस्को और क्लब में देर रात तक

पार्टी करने वाली लड़की को

अब दशाश्वमेध की गंगा आरती

और अस्सी घाट पर मां गंगा के किनारे

सुकून अच्छा लगने लगा है

ना जाने कैसे मिनी स्कर्ट और

जींस पहनने वाली लड़की

अब हमेशा सलवार सूट और

साड़ी पहनने लगी है


ना जाने कैसे मगर सुबह देर तक

सोने वाली वो लड़की

अब सुबह ए बनारस से प्यार करने लगी है

वो लड़की जो भगवान को नहीं मानती थी

वो खुद आज बाबा विश्वनाथ के

दर्शन के लिए जाती हैं

हमेशा अपने खाने में से

तेल मसाले को दूर रखने वाली

वो लड़की अब रोज सुबह चाव से

कचौड़ी जलेबी खाती हैं


इस शहर से इतना प्यार और

अपनापन मिलने के बाद भी

बस एक बात है जो मुझे सताती है

कि ये शहर कितना और अच्छा लगता अगर

तुम भी मेरे साथ होते

शायद यही वजह है कि ये शहर मुझे इतना

अपना सा लगता है क्योंकि

अब भले ही तुम नहीं हो मेरे साथ मगर

इस शहर की हवा में मुझे तुम्हारे होने का

एहसास होता है

हां, शायद यहीं वजह है कि

तुम इस दुनिया में ना होकर भी

बनारस की इस हवा में मेरे साथ रहते हो...



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance