STORYMIRROR

Supriya Devkar

Fantasy

4  

Supriya Devkar

Fantasy

तुम्हारा चेहरा

तुम्हारा चेहरा

1 min
221

निंद खुलते ही चाहता हूं 

पास होना तुम्हारा

जाने क्यों लगता है 

खास है तुम्हारा चेहरा 


दूर अगर होती हो

डर नही लगता अब

याद करता हूँ तुम्हारा चेहरा 

भाग जाता है डर तब


अकेलेपणसे लगता है 

खाली खाली जिवन

सामने लाता हू तुम्हारा चेहरा 

खूश होता है फिर मन

खुशियो की दस्तक होती है


हंसी की होती है फुआर 

याद आता है तुम्हारा चेहरा 

हो जाते फिरसे चलने को तैयार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy