तुम
तुम
छू गया मेरा दिल तेरा स्मित हास,
महसूस हुआ यूँ तू है मेरे ही पास
चल रहे थे हम, कर रहे थे मीठी बातें
कि उठा यह ख़याल मेरे अंतर् में
काश हो जाती तुम मेरी सदा के लिए
लिखती मेरा नाम अपने नाम के साथ
सम्पूर्ण हो तुम ऐसा तो नहीं कह सकता
पर इससे ज्यादा और चाहिए क्या मुझे,
प्यार तुम करती हो मुझसे जितना
वजूद मेरा कम पड़ जाता देने को तुझे
सोचता था कोई कमी नहीं मुझे,
ज़रूरत नहीं किसी और की
तुम आयीं चुपके से और छा गयीं
मेरे दिल –ओ- दिमाग पर
तब पता चला थी मेरे मन में
एक अजानी सी रिक्तता,
एक अबूझ सा अकेलापन
जिसे कभी स्वीकारा नहीं था मैंने
आज बन गयी हो तुम
मेरे जीवन का अभिन्न अंग,
देखने लगा हूँ मैं ख्वाब
सात जन्मों के तेरे संग
तेरा स्नेहसिक्त ह्रदय,
तेरी मनोहारी छवि
खिलाती है पुष्प प्रेम के
मेरे दिल के आँगन में
कैसा भी उठ रहा हो झंझावात
उसे शांत कर दे ऐसा आलिंगन तेरा,
रोम-रोम मेरा रस-सिग्ध कर दे
ऐसा मधुर अद्भुत चुम्बन तेरा,
भर देता मेरे मन को
नव-आशा के उजाले से
और दे देता स्वर्गिक सुख
मेरे समूचे अस्तित्व को
यह रोमांच, यह उत्तेजना
यह अभूतपूर्व शान्ति
यह होने का आभास,
यह सब है आज तेरे ही कारण
यूँ ही देना साथ तुम मेरा अंत तक
सदा रखना मुझे अपनी ही शरण।