तुम याद ना आया करों
तुम याद ना आया करों
मुसाफिर हूँ यारों मैं मुझे तुम याद ना आया करों,
शायराना अंदाज है मेरा मुझे ना आजमाया करो।
लबे-आरज़ू फिरता हूँ बेफिक्र होकर जमाने से मै,
लुत्फ़ उठाया हूँ जिदंगी की मैं मुझे ना सताया करों।
दिल ने आज फ़िर से कहा मुझे यादें भूला दे सब,
बिछड़ गया कोई ना जाने कहाँ उसे ना बुलाया करो।
दीवाना हूँ मैं मेरी दीवानगी को सुन हमनशी मेरे,
विसाले-बहर की हसरत को बातों में ना उडाया करों।
मुहब्बत है मुझसे तो थोड़ी सी चाल चलकर देख,
हर सितम सहने का हौसला मुझमें मुझे ना रूलाया करो।
तुम से बिछड़ कर हम अपने मुकद्दर को कोसते रहें,
रफ्ता -रफ्ता इंतजार ख्वाबों में आकर ना जाया करों।
रूक भी जाओ तनिक ठहर जाओ निहार लूँ तुम को,
मुहब्बत की बेबसी मे निगाहों से निगाहों को ना चुराया करों।