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Sonam Kewat

Abstract Tragedy Thriller

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Sonam Kewat

Abstract Tragedy Thriller

तुम समझ नहीं पाओगे

तुम समझ नहीं पाओगे

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शायद थोड़ी पागल सी हूँ मैं

प्यार के चक्कर में कनफ्यूज हो जाती हूँ 

कभी दिल खोलकर प्यार लुटाती हूँ तो

कभी खुद ही टूट जाती हूँ

तुम्हें तो मेरी हर बातें बेतुकी सी लगती हैं

इसलिए तुम नहीं समझ पाओगे


इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं

तुमने तो वहीं किया जो मैं चाहतीं थीं

मेरे बुलाने पर आते थे, बातें भी कर लेते थे

और कहने पर चले भी जातें थे

तुम अब यहीं सोचोगे की मै दूर क्यों जा रहीं हूँ

मैं बताने की कोशिश करूँगी पर

वैसे तुम कभी समझ नहीं पाओगे


सबसे ज्यादा मुश्किल है मेरे लिए

तुम्हें अपनी बातें समझाना

ना मेरा रूठना मुश्किल है ना मुझे मनाना

आसूं भी सरेआम छुपा लेतीं हूँ मैं

साथ होतें हो तो गम भी दबा लेतीं हूँ

कहने को तो मुश्किल नहीं कुछ

मैं सब कहतीं पर तुम कभी समझ नहीं पाओगे।


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