तुम पंछी यादों के
तुम पंछी यादों के


तुम पंछी यादों के उड़े चलो उड़े चलो
तुम पंछी अहसासों के उड़े चलो, उड़े चलो,
तुम प्रिय की आंख के आंसू, गिरकर तुम फूट गये,
तुम सागर के पानी जैसे उड़ उड़ कर रूठ गये
जब दब गई सिसकिया जज्बातों के साये में,
खामोश है वे कब से, तुम्हारी ही बातों में,
सावन में बिन बरसे बदरा तुम उड़े चलो,
तुम पंछी यादों के उड़े चलो उड़े चलो,
जीवन दीप-शिखा तुम मेरी सासों को कहती थी,
प्रेम के दूजे नाम को तुम पागलपन कहती थी,
लम्हें फिर जैसे जागे तुम्हारी याद को हम वाचे,
खोकर अपने आप में तुमको मुझमे ढूढ़ता हूँ,
बनकर अतीत का क़िरदार मुझको छोड़ गये,
जैसे यादों का विरह -श्रृंगार मेरे लिये सजा गयी,
अब यादों का भार मुझे छोड़ चलो छोड़ चलो,
तुम पंछी यादों के उड़े चलो उड़े चलो।।