तुम पलाश हो
तुम पलाश हो
तुम पलाश हो
सदियों की तलाश हो
हारी मैं जंग जीवन का
तब मिलें वो आस हो ।
ढूंढ़ा नहीं कहीं कहीं
खड़ी थी तुम मिलें वहीं ।
थकान में तुम उल्लास हो
मायूसी में मुस्कान हो ।
तपिश में तुम प्यास हो
बरसात में तुम खास हो ।
वो बूंद तुम स्वाती के हो
जहां गिरे जीवन बनें ।
तुम जान हो, जहान हो
तुम, मेरे पलाश हो ....!!