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SUMAN ARPAN

Abstract

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SUMAN ARPAN

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तुम क्या जानो

तुम क्या जानो

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मर मर क्या है जीना, तुम क्या जानो?

इंतज़ार में क्या है तड़पना, तुम क्या जानो?

तड़प देख कर हमारी ख़ुदा ने कहा,

क्यूँ देते हो खुद को इस कदर सजा !

कहा हमने हँस कर, सजा नहीं दीवानगी है!

दीवानी बन कर जीना क्या है तुम क्या जानो?

मर मर.....


शबरी रोज फूल चुनती थी इंतज़ार में, 

आंसूओं से बुहारती आँगन वो, राम के प्यार में!

नहीं जानती थी कि राम कब आयेंगे?

लागी जो प्रेम की लगन क्या है, तुम क्या जानो?

मर मर....


प्रेम क्या है मीरा से पूछे कोई?

कैसे हँस हँस के विष को पीता कोई!

महलों की थी जो रानी, बन गई प्रेम दीवानी !

वो वीणा और बाँसुरी का राग क्या है तुम क्या जानों ?

मर मर....


राधा हर पल श्याम श्याम गाती रही!

मुरली मनोहर प्रेम की वो बजाती रही?

प्रेम का देखो अनुपम असर !

श्याम श्याम गाते गाते राधा, ख़ुद श्याम हो गई!

प्रेम में ख़ुद को भूला देना, प्रेम में ख़ुद को मिटा देना

क्या है तुम क्या जानो?

मर मर...


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