तुम कहीं भी रहो
तुम कहीं भी रहो


तुम मेरे दिल में रहो हर पल हर घड़ी,
इतना सा सुकून मेरे दिल को काफ़ी है,
घर से गर तुम निकलोगे नहीं तो काम कैसे करोगे,
तुम्हारे अपने भी है कुछ सपने अपनी भी है मजबूरियाँ,
हर पल तो तुम नहीं बंधे रहोगे मेरे पल्लू से,
काम अपने भी तुम निपटोगे पूरी करोगे अपनी ज़िम्मेदारियाँ,
प्यार करके कोई पेट तो नहीं भर जाता,
रोजी रोटी की खातिर दूर तो तुम हमसे होंगे ही,
हर पल कौन चाहता है कि तुम हमारे साथ रहो,
कहीं भी तुम रहो पर दिल में अपने हमको रखो,
धोखा बस ना हमको देना ये ही हम चाहते है,
दिलों का ये बंधन किसी और से न तुम जोड़ना ।