तुम ही तो हो.....
तुम ही तो हो.....
उदासी भरा दिन
उसमें खोज रही हूं तुम्हें,
क्षितिज के इस छोर से
उस छोर तक
ये भीनी मन्द सुगंध
अहसास कराती है
तुम यहीं कहीं हो,
पक्षियों का मधुर कलरव
तुम्हारी उपस्थिति का
अहसास कराता है;
ये मंद संगीत के स्वर
तुम्हारी अनुभूति की
गाथा कहते हैं;
हां तुम ही तो हो
जो ठण्डी शीतलता बिखेर रही हो।
हां हां मैं जान गयी
वहीं दूर बहुत दूर से
देख रही हो तुम मुझको।
हां इन्दु वो तुम ही तो हो
जो हर क्षण आती हो
दे जाती हो इस तपन भरे जीवन से
जूझने को अपनी शीतलता।
तुम कहीं ओर नहीं यहीं हो ,यहीं हो।

