तुम ही तो हो एक अकेले तुम ही बस तुम
तुम ही तो हो एक अकेले तुम ही बस तुम
दर्द देकर दवा देने आया
ज़ख्म देकर मरहम लगाने आया
सिसकते अरमानों को भड़का गया
कोई फिर से मुझे रुला गया ।।
बाद मुद्द्त के तशरीफ़ लाया
तिस पे बीसों उलहाने लाया
मुझ को तो कुछ भी कहने न दिया
अपनी कहानी सुनाने आया
कोई फिर से मुझे रुला गया ।।
मय मय्यस्सर न थी न हुई
खाली रिन्दों को देख बिखरा आँगन में
मयकशी का इल्ज़ाम लगाने आया
मुझ को तो कुछ कहने न दिया
अपनी कहानी सुनाने आया
कोई फिर से मुझे रुला गया ।।
बाद जाने के उसके मैं खूब रोया
एक तकिया था सूखा जो घर में
अश्कों से भिगोने आया
मुझ को तो कुछ कहने न दिया
अपनी कहानी सुनाने आया
कोई फिर से मुझे रुला गया ।।
अब न करूँगा इश्क तौबा कर ली
अब न करूँगा इश्क तौबा कर ली
मैंने इश्कबाजी से अपनी दूरी कर ली
लैला आये शीरी आये या के कोई हीर ही आये
मैंने ख़ुदा की चौखट पे नाक भी रगड़ ली
मुझ को तो कुछ कहने न दिया
अपनी कहानी सुनाने आया
कोई फिर से मुझे रुला गया ।।