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Pankaj Prabhat

Romance

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Pankaj Prabhat

Romance

तुलसी की तरह

तुलसी की तरह

1 min
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मन के आँगन में, तुम स्थित रहो तुलसी की तरह।

मेरे प्रेम अर्ध्य से, तुम पुलकित रहो तुलसी की तरह।

मेरे मन की विपदा हरो, मेरे विचारों में ऊर्जा भरो,

मेरे बांहो के प्रांगण में, तुम विकसित रहो तुलसी की तरह।


हर भोर तेरी खुशबू से हो, हर रात तेरी तासीर मिले,

मेरी हर पीड़ा की, तुम दवा बनो तुलसी की तरह।

मैं कवि हूँ शब्दो के सिवा और क्या दे सकता हूँ,

तुम पंकज के शब्दों में, रस और गुण भरो तुलसी की तरह।


हर मोड़ हमें खुशियां ही मिले, हर मोड़ पर साकार सपने हों,

हमारे इस सुन्दर सपने का, वरदान बनो तुलसी की तरह।

जीवन की चाहत प्रेम तेरा, और मंज़िल मोक्ष हो,

हमारे जीवन गाथा की, तुम मोक्ष बनो तुलसी की तरह।


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