STORYMIRROR

Nitesh 'Neel

Romance

4  

Nitesh 'Neel

Romance

तुलना

तुलना

1 min
344

जिसके नाम में चारो धाम है,

आंखों में बनारस की शाम है,

अदाएं जिसकी लखनवी ठाठ सी,

सीरत है गंगा घाट सी।


उठे पलके तो फूल खिलाती है,

फिर याद बोहोत जो आती है,

कोयल को उससे शिकायत है,

में पढलू उसे वो आयत है।


जिसका गुस्सा है दिल्ली की गर्मी,

ख़ामोशी है उत्तराखंडी,

मुस्कुरा के तीर चलती है,

रूठे तो पतझड़ लाती है।


बातें चांदनी चौक की गलियां,

केस है पीपल की छइयां,

सूरत में अयोध्या धाम है,

पास आए तो बोसा दूं उसे,

हुस्न उसका जैसे कुरान है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance