कहां?
कहां?
कहां मिल पाएगा सुकून, किसी को भुला देने से
तिलमिला जाता है मन, कमरे से कुछ हटा देने से
समंदर की लहरों से करती हो बातें जो,
कहां ठहरेगी वो कश्ती ,दरिया में ला देने से
खुद को मंजिल नही मिलती, गैर को राह बताने से
दिया तले अंधेरा ही रहता है, इक लौ जला लेने से,
यूं ही चलते रहना नाम-ए-ज़िंदगी है 'नील,
कुछ नहीं मिलता हस्ती मिटा लेने से ।