क्या करें
क्या करें
दिल फिर उसको ही चाहे, तो क्या करें
नाम उसका, हथेली पर उतर आए, तो क्या करें।
जिसे भूलना चाहें, और भूला ना पाएं
वक्त उसका हाथ, थामे चले आए, तो क्या करें।
पीते हैं के पीने से कुछ होश नहीं रहता
मदहोशी में भी, होश वही आकर दिलाए, तो क्या करें।
ये ज़ेहन में डाल कर चलते हैं, उसके रास्ते नही चलना
मगर कभी राह भटक जाएं, तो क्या करें।
जिसका नींदों पे पहरा है, जो सोने नहीं देता
सुबहा वही आकर जगाए, तो क्या करें।
कहने को दूर हैं वो, पर दूर होने नहीं देते
ये खयाल हकीकत नज़र आए, तो क्या करें।
तुम खुदको भूल चुके हो नील" आईना नहीं देखते
कोई गैर तुम में नज़र आए, तो क्या करें।
दिल फिर उसको ही चाहे, तो क्या करें।