उफ़
उफ़
उफ़ न जाने क्या नज़ारे हो रहे होंगे
जो कभी मेरे थे अब किसी और के फ़साने हो रहे होंगे
हम जो शफ़क़ हुआ करते थे कभी
किसी गैर के आगे बेचारे हो रहे होंगे
मेरे बाद उफ़....
उफ़ न जाने क्या नज़ारे हो रहे होंगे
जो कभी मेरे थे अब किसी और के फ़साने हो रहे होंगे
हम जो शफ़क़ हुआ करते थे कभी
किसी गैर के आगे बेचारे हो रहे होंगे
मेरे बाद उफ़....