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तुझसे मेरी मुलाकात

तुझसे मेरी मुलाकात

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जिंदगी की किताब से कुछ जज्बात

कुछ बेगानी सी लगती है कुछ अनजानी सी लगती है

तुझसे मेरी मुलाकात कुछ पुरानी सी लगती है

देख कर तुझे कुछ अपना सा लगता है

जिंदगी चाहे हो छोटी पर तेरे साथ

हर सपना सच्चा सा लगता है

तू रोज मेरी रातो में चाँद बन निकलती है

तेरी ठंडी आहट से ये रात रंगीन लगती है

तू है मेरे साथ ये एहेसास ही काफी है

तेरी एक मुस्कान को ये रात कहाँ काफी है

कितनी गहराई है तेरी इन आँखों में

तू लाख छुपाए मेरा प्यार अपने इन जज्बातो में

सोचता हूँ डूब जाऊ और ढूंढ लू खुद को

इनमे कहीं ये सिलसिला ना थमे

ये वक़्त रुक जाए यहीं पर

देखते ही देखते एक किरण दूर निकलती है

पहली सुबह की गर्म आहट से तू धुंध बन छटती है

फिर इसी सोच में खुद को बेचैन पता हूँ

मैं रोज इन घने कोहोरो में ये उमंग लिए जाता हूँ

तेरी तलाश में बहुत दूर निकल आता हूँ

में उस समय खुद को बहुत बेबस पता हूँ

जब तेरे न मिलने पर खुद को अकेला पाता हूँ

ऐसा लगता है ये कहानी उन सभी

अधूरी कहानियों से मेल खाती है

जहाँ लगता है हम साथ है कई जन्मों से

उन सभी अधूरे किस्से कहानियों में

कुछ अपनी सी कहानी लगती है

तुझसे मेरी मुलाकात कुछ बेगानी सी लगती है

कुछ अनजानी सी लगती है

तुझसे मेरी मुलाकात कुछ पुरानी सी लगती है


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