तुझे देखकर
तुझे देखकर
अपनी नज़र को तुम यूं न घुमाया करो,
हम तुम्हारी तिरछी नज़र से घायल बन जाते है।
अपने दिल को तुम यूं न धड़काया करो,
हम धड़कन सुनकर इश्क का ताल मिला देते है।
अपनी जुल्फों को तुम यूं न लहराया करो,
हम उसे देखकर सावन की घटा महसूस करते है।
अपनी मस्त अदाएं तुम यूं न दिखाया करो,
हम इसी अदाओं से तुम्हारे दीवाने बन जाते है।
अपने होंठों के अल्फाज़ तुम यूं न सरकाया करो,
"मुरली" उसे सुनकर इश्क का शायर बन जाता है।