तस्वीरों के आइने में
तस्वीरों के आइने में
तस्वीरों के आइने में, जब मेरी नज़र जाती है,
एक भीड़ का अजीब मंज़र नज़र आता है।
कहीं अपना बहुत बड़ा परिवार नज़र आता है,
वाे पुराना समय याद आता है,जब सब एक थे,
घण्टों बैठते थे, दादा दादी,चाचा चाची, ताया ताई,
कितने ही भाई बहनों के बीच वक़्त गुज़रता था,
आज वो फिर से पुरानी बातें याद आती हैं,
वो बातें याद कर कर के आज भी रोना आता है।
तस्वीरों के आइने में, जब मेरी नज़र जाती है,
एक भीड़ का अजीब मंज़र नज़र आता है।