अकेलापन निगलेगा
अकेलापन निगलेगा
रवैए ना बदल अभी मंजिल दूर है
अकेलापन निगलेगा हमको राहों में
मुझको तेरी तुझको मेरी जरूरत है
कैद करके बैठे हैं यूं उन लम्हों को
जैसे सांसों को हवा की तवक्को है
मंजिल पाने को मुक्तसर एक तेरा साथ चाहिए
मेरे हाथों को तेरे हाथों की तपिश चाहिए
वो चार कदम की राह तय करने को परवाज़ भरने को
मेरे हमनवां ज्योत को बस इक तेरा साथ चाहिए
इक तेरा साथ चाहिए।
