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Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Inspirational

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Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Inspirational

तरु से गिरा पत्र

तरु से गिरा पत्र

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तरु पर कभी

जन्म पीत वर्ण

फिर हरित हो गया

एक दिन फिर हो पीत

तरु को छोड़ चला

तरु से गिर गया

एक तरु का एक पत्र

लक्ष पत्रों में एक पत्र

शायद तरु भी अनजान था

एक पत्र साथ छोड़ गया

तरु से गिर गया


शायद तरु अनजान न था

ज्ञात था तरु को

उसका साथ निभा बहु काल

एक पत्र चला गया

तरु से गिर गया


शायद तरु चाहता रुदन

फिर शांत रह गया

चुपचाप देखता रहा

एक पत्र का गिर जाना

साथ छोड़ जाना

तरु शांत रहा

अथवा नहीं भी रहा

ओस विंदुओ को फैला धरा पर

शोक रुदन भी किया

नवपत्रों को लख

तरु रोता नहीं

निष्ठुर नहीं है

जीवन तथ्य जानता

आगे बढना

तरु जानता है

एक पत्र का गिर जाना

फिर अनेकों का गिर जाना

कुछ दिन ठूंठ सा जीवन बिता

वह भी गिर जायेगा।


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