तरसती है निगाहें उनकी निगाहों से टकराने को
तरसती है निगाहें उनकी निगाहों से टकराने को


वाद विवाद तो उन्हें अक्सर करते देखा है
देखा नहीं तो संवाद करते हुए।
तरसती है निगाहें उनकी निगाहों से टकराने को
पर देखा है उन्हें हमने बस टकराते हुए
जाने कितने ही सावन मेरे नयनों में अश्क़ लेकर आये हैं
पर कभी लाये नहीं उन्हें मेरी बाहों में मुस्कुराते हुए
झुंझलाहट में अक्सर हाथ उठाते देखा है
देखा नहीं मरहम लगाते हुए
विवाद तो अक्सर ही करते देखा है
देखा नहीं संवाद करते हुए।
कहते हैं बच्चे तो प्यार की निशानी हैं
पर अक्सर सहा है मैंने उस अहसास को कहराते हुए।
नशे में चूर होते तो अक्सर देखा है
देखा नहीं प्यार में चूर होते हुए
जिस वाद विवाद में जान लगा देते है,
वैसे देखा नहीं संवाद मे दिल लगाते हुए।
हर रिश्ते में जैसे वाद विवाद को बेबजह हम पनाह दे देते है।
ठीक वैसे ही संवाद भी जरूरी है
ये जिंदगी मौन में बीत जाए तो जिंदगी क्या है
संवाद में खुशियां और गम बटनां भी जरूरी है।