तरक्की
तरक्की
तरक्की का ये दौर
क्या सचमुच तरक्की है
आदमी आदमी से
कितना दूर हो चला है
सड़क पर भीख मांगते
बच्चों का हुजूम
भूख से बिलखता हुआ इंसान
और आसमान में
विचरण करता हुआ वैभव
क्या मनुष्य की
मनुष्यता का पतन नहीं है
क्या मनुष्य खुद से दूर नहीं है
जो होना चाहिये
वो कहाँ है।
