तरक्की
तरक्की
अलख शिक्षा की जब मन में जगने लगे
अधिकार-कर्तव्य अपना समझने लगे
तब समझो हम तरक्की करने लगे।
माता-पिता-गुरु का महत्व समझने लगे
सत्य-अहिंसा का अनुसरण करने लगे
सब समझो हम तरक्की करने लगे।
सभ्यता-संस्कृति अपनी समझने लगे
समय-शक्ति और श्रम की कद्र करने लगे
तब समझो हम तरक्की करने लगे।
बुलंद हौसलों से ऊंची उड़ान भरने लगे
लगे जो ठोकर तो खुद ही संभलने लगे
तब समझो हम तरक्की करने लगे।
दुःख-दर्द गैरों का जब समझने लगे
सोच-समझकर हर कर्म करने लगे
तब समझो हम तरक्की करने लगे।