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Mrugtrushna Tarang

Comedy Fantasy Children

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Mrugtrushna Tarang

Comedy Fantasy Children

तपती धूप

तपती धूप

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नीले नीले आसमां में रहनेवाले,

सात घोड़ों की सवारी करने वाले,

ओ आफ़ताब! करो ना हमकों परेशान,

गर्म तुम्हारें होने से निकलती हमरी जान।


कुछ तो तरस खाओ हम पे,

वैसे ही मरे जा रहे हम कॅरोना से।

गलियाँ, चौबारे सूने पड़ जातें,

जब ऊँचे टीले पे तुम चढ़ जाते।

न छोड़ रखा कोई राहत का रास्ता,

कुछ तो करो रहम हम पे, ओ दयावान!

ओ आफ़ताब! करो ना हमकों परेशान,

गर्म तुम्हारें होने से निकलती हमरी जान।


जब जाती बिजली, जलधार, सूखें पड़ते गले हमार,

काम धाम कछू हो न पाता, ढेर हुए गिरते दो चार।

तरस खा के वरुण देव जो बरस पड़ते,

बदलते मौसम के मज़े हम बच्चें ही तो लेते,

रिमझिम बारिश की वो बूँदें, आग बुझाती,

तपती धूप की नंगी बारिश में हम छैल छबीले होते।

पलभर देकर खुशियाँ क्यों तुम जलाते हमरा जहान !

ओ आफ़ताब ! करो ना हमकों परेशान,

गर्म तुम्हारें होने से निकलती हमरी जान।


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