होली की फ्लाईंग पप्पी
होली की फ्लाईंग पप्पी
कोरोना वाली होलिका के इस साल पे सावधानी से होली खेलैं,
अबीर गुलाल से पौती फ्लाईंग पप्पी एक एक ग्वालन के कपाल सैं।। - १
रंग दो आज अंतर्मन, तन औ' धरा हरियाली सी,
रंग दो सप्त नदियों के जल से, चारों दिशाएँ जी निराली,
न हो आज कोई झगड़े टंटे, धर्म - विधर्म के नाम पे,
एक ही सूर में हर ग्वालन गायें गीत राधे श्याम के,
मेघधनुषी रंग नहीं ये, प्यार दुलार और जी मनुहार कैं
अबीर गुलाल से पौती फ्लाईंग पप्पी एक एक ग्वालन के कपाल सैं।। - २
शुभ संकेत मिलें हैं मनुहारों के गाँव, गलियारों में,
रंग बिखेरती चली सुनो श्रद्धा, विश्वास औ' पुकारो में,
बलिदानों की बोलें बोली केसरिया, हरा औ शांति के रंग श्वेत रे,
भारत को जितवाने हर भारतीय झूमें खलिहान और खेत में,
उषा की आश्वस्त किरणें सुनहरी चोली में सजे,
अबीर गुलाल से पोती फ्लाईंग पप्पी एक एक ग्वालन के कपाल सैं।। - २
ब्रिज में खेलें गोपी संग कान्हा, औ' नगर डगर भीगें चोली,
इक इक छोरा कृष्ण बणै, इक इक गोरी राधे की टोली,
चीरहरण पूरन को जब जब आयें चोरी चोरी मुरारी,
मन की आँखों से देखो, दौड़ रहे मिलने सुदामा को गिरधारी,
सप्तऋषि पत्नियों के चहिते नटखट साँवले छैं,
अबीर गुलाल से पौती फ्लाईंग पप्पी एक एक ग्वालन के कपाल सैं।। - ४
