STORYMIRROR

Mrugtrushna Tarang

Abstract Inspirational

3  

Mrugtrushna Tarang

Abstract Inspirational

ग़नीमत है तुम हो

ग़नीमत है तुम हो

1 min
220

मुलाकातें पर्दे में यूँ ही गुज़र जाएँ ग़म न करना,

दिलों में हैं जबतक ज़िंदा, ईद की मुबारकबाद अपनाएँ रखना।


मास्क है तो हैं हम भी इस जहां में कहीं न कहीं ज़िन्दा,

किसी के कहे पर उतारकर न न्यौता देना क़ब्र में लेटने का।


तुम्हें मेरी, न मुझे तुम्हारी है कुछ ख़बर फिर भी,

भले ही ईद इस बार भी दबे पांव गुज़र जाएगी।


तसल्ली बख्श हूँ कि, यार मेरे घर पे ही ईद मनाते ज़िन्दा तो हैं!

फिर किसी दिन मिलने के बहाने से।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract