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Arunima Bahadur

Action Inspirational

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Arunima Bahadur

Action Inspirational

तोड़नी परतंत्रता की बेड़ी

तोड़नी परतंत्रता की बेड़ी

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काश! देखते तुम भी मेरे,

नयन के उस नीर को,

शायद समझ तुम फिर

सकते मेरी भी इस पीर को,

नारी हूँ, हर दुख सह

मुस्काना स्वभाव है,

पर मेरे भी अंतस में

उमड़ते कुछ प्यारे से भाव है,

अस्तित्व तुमसे न है मेरा,

एक स्वतंत्र मेरा रूप है,

बंधन जब प्रेम का हो,

तो सहर्ष स्वीकार है,


पर परतंत्रता की बेड़ी

पूर्णतया अस्वीकार है

तोड़ हर बेड़ी आज

एक स्वतंत्र जीवन चाहती हूँ

क्यों की अब इस वसुधा पर

नव परिवर्तन चाहती हूँ,

जो रह गयी नारी कैद

नव बिगुल न बज पायेगा,

हे पुरुष तेरा भी विकास

अवरुद्ध हो जाएगा

तो भर हुंकार आज में

सब बेड़ियाँ तोड़ती हूँ,

पूर्णता के भाव संग

नव निर्माण की नींव रखती हूं।।



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