तमसो मा ज्योतिर्गमय
तमसो मा ज्योतिर्गमय
जो अंधकार का गुरुर तोड़े, वो दीपक कहलाये,
जो अमावस का अंत करे, वो चांदनी कहलाये,
जो आलस्य का अंत करे, वो कर्मठ कहलाये,
जो तमस का अंत करे, हां वो ज्योतिर्गमय कहलाये!!
जो निराशा का अंत करे, वो आशावादी कहलाये,
जो मिल-जुल के पर्व मनाये, वो साथी कहलाये,
जो अपने मन का मैल छुड़ाए, वो सहज कहलाये,
जो भेद-भाव को न समझ पाए, वो बचपन कहलाये,
जो तमस का अंत करे, हां वो ज्योतिर्गमय कहलाये!!
जो अहम् का अंत करे, वो विन्रम कहलाये,
जो असत्य का अंत करे, वो सत्यार्थी कहलाये,
जो जन्म-मरण के मायाजाल को समझे, वो अमर कहलाये,
आओ इस दिवाली,
उजाला भरे हर आँगन में, प्रकाश के पंख फैलाये ,
क्योंकि जो तमस का अंत करे, वो ज्योतिर्गमय कहलाये!!
