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BHAVANA AHUJA

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BHAVANA AHUJA

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कविता - देश प्रेम

कविता - देश प्रेम

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आने वाला है नया कल, पर गुज़रा हुआ न भुलाएं ,

आओ फिर से देश प्रेम का दिया जलाएं !!


गुजरे पलों से है जुड़ी अपनी आज की शाखाएँ ,

इतिहास वही, नींव वही इसी सच्चाई को अपनाएं!!


चाहे विघ्न घेरे, चाहे सूरज उजियारा न दिखलाए ,

पर आओ अपनी मिटटी की खुशबू को सारे जहाँ में फैलाएं !!


हिमालय की चोटी पर पहुँचकर फिर से तिरंगा लहराएं ,

चुनौतियों से लड़ने पर तो ईश्वर भी सहारा बन जाए!!


टूटे मन के तारो को जोड़ें प्यार का समावेश बनाएं ,

मैदाने-जंग वो ही जीते जो इस परिभाषा को समझ पाएं !!


जड़ता का नाम जीवन नहीं, उगती फसल सा रूप अपनाएं ,

मनुष्यता के स्तर से न गिरें,धरातल पर रहकर आसमान को छू जाएँ !!


आओ फिर से देश प्रेम का दिया जलाएं,

बीते समय को याद करते हुए सुख की नई परिभाषा बनाएं !!









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