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कुछ कदम भरूँ

कुछ कदम भरूँ

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जब जब मैंने जिंदगी को

पटल पर उतरना चाहा ,

तब तब दुनिया ने उसे

नज़रों में उछलना चाहा !


पर चाहे रोक लो चाहे तोड़ लो,

ये बहाव बांधते नहीं हैं !

हवाओ का रुख लेकर,

दिशा बदलते नहीं हैं !


जो आज है शायद कल न हो,

पर जिंदगी कल नहीं, आज है !

आज मैं भी कुछ कदम भरूँ,

और आज जिऊँ तो खुल के जिऊँ !


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