लफ्ज़
लफ्ज़
लफ्ज़ों में बातों को आज घुलने दो,
दूर होती हुई इन लकीरो को आज मिलने दो !
पड़ने लिखने की समझ तो सब में है पर,
अपनों के मन की व्यथा समझें
ऐसे अल्फाज़ो को उतरने दो !
बदलते लफ्ज़ औरों के समय अनुसार,
यही जीवन की सचाई है,
तुम इस्तेमाल करो इन्हें परख कर,
तो ही तुम में अच्छाई है !
सारी दुनिया को छोड़कर
अपने लफ़्ज़ों को नई उड़ान दो,
टूटे तारो को ज़रा जोड़ो,
खुद को नई पहचान दो !
इन लफ्ज़ों को कलम में
आज ढलने दो , उठो
अब और आगे बढ़ों,
इन लहरों का न आज थमने दो !